रज रज के माँ तुझे इस कदर सलाम करू,
तेरे तीन रंगों में हर सांसे क्या जां भी तमाम करू,
मिले जब कभी फिर ज़िंदगी, माँ - तो बस तेरे मिट्टी का अरमान करू,
रज रज के माँ तुझे इस कदर सलाम करू ..!!
नाचू गाऊ मदहोश होके तेरे आँचल तले,
पर सीना ताने बस आज तेरा ही शंख नाद करू,
याद करू, तेरे हर वीर सपूतों को
ओर झुक के उनके सहादत का मान करू,
रज रज के माँ तुझे इस कदर सलाम करू ..!!
दे गोरव आशीष इतना की जो भी देखे तुझे बुरी नज़र से,
उसे इस दुनिया के नकस्से से बर्बाद करू,
गर जो बढ़ाये हाथ दोस्ती का उसको तेरे बेटे की तरह मान करू,
रज रज के माँ तुझे इस कदर सलाम करू ..!!
तेरी हर जुस्तुजू, तेरी हर गुफ्तुगू तेरे न होने के बाद याद आती है,
है मेहरवा तेरी मोहब्बत इन यादों पे इतनी,की हर याद तेरी आँखों के बारिश के बाद आती है !!
सोचता हूँ फिर, काश ख़त्म हो जाये ये यादों का सिलसिला,
आ जाये कहीं से वो पास मेरे ओर कहे मुझसे दिल मिला,
पर होता नहीं है ये,
आँखे खुलने के बाद ख्यालों से हर बार वो चाँद के पार होती है,
तेरी हर जुस्तुजू, तेरी हर गुफ्तुगू तेरे न होने के बाद याद आती है,
है ये गुज़ारिश मेरे हमनवा तुझसे इतना,
हो कभी बारिश तेरे आँगन में तो भींग के देखना,
तुझे छूने वाली हर बूंद में मेरे अश्कों के होने का एहसास होगा,
तेरे जिस्म पे गिर के सब कुछ खोने के बाद भी, उन बूंदों को तेरा ही प्यास होगा,
अजीब है ये तेरी मोहब्बत, जो तुझसे दूर होकर भी तुझ पे मिटने की ख्याल लाती है
तेरी हर जुस्तुजू, तेरी हर गुफ्तुगू तेरे न होने के बाद याद आती है,
है मेहरवा तेरी मोहब्बत इन यादों पे इतनी,की हर याद तेरी आँखों के बारिश के बाद आती है !!
साहिलों के रेत पे वो मेरे पांव के निशा ढूंढ़ रहे थे,
खामोशियों का सफ़र देके साथ चल न सके जो,
वो आज मेरे ख़ामोशी पे अपने आँखे मूंद रहे थे ...!!
जो राहे वफ़ा दी उसने हम पहुँच न सके उस मंजिल पे,
बीच राहों में छोड़ कर साथ मेरा, वो आज मेरे राहों का पता पूछ रहे थे,
वक़्त के हाथों लुट के खता उसने की या मैंने की, ये तो मालूम नहीं,
पर रो के वो भी आज अपने हालतों पे कहीं, उस खताई का वजेह ढूंढ़ रहे थे,
अब तक अकेले चलते चलते थका नहीं था में, उनके प्यार के सफ़र में,
पर दूर होके आज भी मुझसे वो मेरे आराम के लिए कोई घर ढूंढ़ रहे थे,
साहिलों के रेत पे वो मेरे पांव के निशा ढूंढ़ रहे थे,
खामोशियों का सफ़र देके साथ चल न सके जो,
वो आज मेरे ख़ामोशी पे अपने आँखे मूंद रहे थे ...!!
तू सनम पाकीजगी कर, में तुझसे एक रिश्ता रखूँगा,
हवाएं कितनी भी बहे बेरुखियों का तेरे आँगन में,
दरवाजा बनके उन्हें में रोकता रहूँगा ..!
कमजोर पल भी आयेंगे तेरे आँगन के पेड़ के शाखों पे,
पर उन शाखों को सलामत रखने के लिए, में हमेसा पत्ते बनके गिरता रहूँगा,
भर जायेगा जब कभी वक़्त की तेज़ बारिशों से तेरा आँगन,
में हर बारिशों के बाद आग बनके (सूरज) आसमा में निकलता रहूँगा,
जब कभी आये याद मेरी अपने आँगन में आके देखना,
में तुलसी बनके, तेरे आगन के मंदिर में तुझसे मिलता रहूँगा,
यूँ तो हमें वक़्त ने जुदा कराया है,
पर जुदा होके भी उस खुदा के पास,
नम आँखों से तेरी सलामती की दुआ करता रहूँगा ..
तू सनम पाकीजगी कर, में तुझसे एक रिश्ता रखूँगा,
हवाएं कितनी भी बहे बेरुखियों का तेरे आँगन में,
दरवाजा बनके उन्हें में रोकता रहूँगा ..!!
आज फिर एक तेरी तस्वीर मिली किताबों में,
सोचा उसे देखकर कुछ ओर पन्ने पलट डालू हुस्न के तेरे हिसाबों में,
यूँ तो निकला था कुछ शब्द ढूंढने तेरे हुस्न के सदके के तारीफों में,
पर वही किताबों के हर सफे पे पाया झुकता सारी कायनात को तेरे सायों में,
आज फिर एक तेरी तस्वीर मिली किताबों में....!!
जब कुछ न मिल पाया तो आँखें बंद कर ली ओर तेरे चेहरे को नजरों में रख ली,
देख के हेऱा हुआ जब पाया बंद आँखों के निचे चाँद को तेरे फरमाए में,
आज फिर एक तेरी तस्वीर मिली किताबों में....!!
तू है कितनी हसी ये तो जानता हूँ में,
होगा न तुझसा कोई ओर ये भी मानता हूँ में,
पर ये दिल सोचता है आज हर शय झुक जाये तेरे कदमो में,
सावन भी तेरे आगे फीका पर जाये जब भी रखूं तुझको निगाहों में,
ऐ मेरे मालिक बस तू कर दे करम इतना ,
हो ना कोई इस ज़मी खुबसूरत मेरे सनम जितना,
बस आ यहाँ तू ओर दे सुकू बोल के ये,
बना ना कोई हुस्न तेरे सनम सा जमानो में,
आज फिर एक तेरी तस्वीर मिली किताबों में....!!
मैं तेरा दीवाना हूँ, मुझे दीवाना ही रहने दे,
तू निकल चाँद बनके वहाँ,
ओर मुझे चकोर बनके यहाँ ही रहने दे,
चाहतें कितनी भी खामोश हो जाये चाहे वफ़ा की गलियों में,
बस मेरी आवाज़ को अपने सिने में ही रहने दे, रहने दे ...!
मैं तेरा दीवाना हूँ, मुझे दीवाना ही रहने दे......
तुझे खुदा ने तराशा होगा बड़ी ही गुरवत से,
बहारों ने सवारा होगा बड़ी ही नेमत से,
सोचता हूँ में आज कहीं मदहोश वो थे..
या मदहोश में रहा हूँ तेरे हुस्न के यादों में,
ये तो मालूम नहीं,
हो चाहे बात कुछ भी... बस मुझे अपने हुस्न में मदहोश रहने दे ...!
मैं तेरा दीवाना हूँ, मुझे दीवाना ही रहने दे......
देखा हूँ जब से तुझे हर शय में तुझको ही याद किया,
तेरी यादों में राते क्या नींदे भी बर्बाद किया,
वो तो किस्मत ही ओर है,
जो आज नाम की दरमियाँ बन गई है बीच हमारे,चल जाने दे ..
होने को कुछ भी हो जाये बस हमें अपनी मुलाकात में ही रहने दे ...!
मैं तेरा दीवाना हूँ, मुझे दीवाना ही रहने दे......!!
हूँ में अश्कों के सायों में फिर भी दिल ए गुमा है उनपे और,
कहने को तो हर बातें नज़रों से केह दिया जो न केह सका वो जुव़ा है और !!
गुरवत की संजीदगी समेट कर जो तीरे ए नज़र चलाया,
लाल रंग से भींगा वो हाले ए दिल मेरा है और,
यूँ तो तेरे हुस्न के तरकश में खंजर है बहुत,
पर जिससे घायल हुआ मेरा कद तेरा वो कमा (कमान) है और,
तू क्या है ओर किसको है तेरी जरुरत,
पाया है जिसने तुझको उसका हाले दिल बया है और,
यूँ तो तेरी हर तारीखे खली है मेरे चाहतों के पन्नो में,
ढूंढा जब कुछ पाने के लिए उन पन्नो से, जो मिला निशा वो खला है और,
हूँ में अश्कों के सायों में फिर भी दिल ए गुमा है उनपे और,
कहने को तो हर बातें नज़रों से केह दिया जो न केह सका वो जुव़ा है और !!