उन्हें नहीं आना था तो
मुलाकात इतना गहरा क्यों था
मिलके मुझसे उनके चेहरे पे
इतना सुर्ख सेहरा क्यों था
मेरे मुफ्लिशी को मुझे भगाना था
वो ख़ौफ़जदा क्यों था
समझा नहीं एक नदी से दोस्ती कर
समुंदर में वो खुश क्यों था
चल छोड़ उसूल और शोहरत की बातें
ये सुन के भी वो चुप क्यों था
दिल में सुलह की ख़्वाहिशें लिए
दूर जाने की चाहत में वो क्यों था
समझा नहीं एक नदी से दोस्ती कर
समुंदर में वो खुश क्यों था !!