Monday, December 3, 2012

मेरी कविता ....

एक बार फिर जन्म लेगी
मेरी कविता,
तेरे ज़ेहन के गलीचों में,
कुछ फुर्सत के लम्हों में,
कुछ मूक बधीर
तेरे निर्बल अरमानो में,
हो सके तो तब जा के
तुम फिर पढ़ना इसे ओर पूछना खुद से
तुमने क्या खोया क्या पाया ..?
अपनी बेजार रक्त रंजित निगाहों में,
सिवाय सूनेपन ओर अकेलेपन के
अपने ही मकानों में,
शायद फिर तेरे रूठे कमल भी
चल पड़े,
मिलन लिए मेरे भावनाओं संग
लिखने कच्चे पक्के शब्दों से 
एक जुझारू ज़िंदगी की दास्ताँ
नाम लिए होगी  "मेरी कविता"  ..!

Sunday, December 2, 2012

छुपा रखा हूँ ...

शफ़क ना पढ़ ले कोई चेहरे से मेरे,
इसलिए अपना तस्वीर छुपा रखा हूँ,
 
सिने में उफनता सागर
आँखों में सेलाब छुपा रखा हूँ,
 
एक हादसे से सनी छोटी सी ज़िंदगी का
लम्बा सा बयान  छुपा रखा हूँ,
 
थोड़ी सी बिखरी स्याही पन्नो के
कुछ टूटे अधूरे शब्द छुपा रखा हूँ,
 
बिकते घोंगो की बस्ती में 
एक सिप मोती का छुपा रखा हूँ  
 
धुएं हुए सपने संग सही मायने में
कल की बेहतरी का आग छुपा रखा हूँ !!