एक साया है तू
मेरा साथ क्या देगा
जब ज़रूरत होगा मुझे अंधेरों में
तू खुद का पता खो देगा ..
में ढूंढता रहूँगा
फिर भी तुझको दर व दर
हर दिये के रौशनी में
इस आस से
कहीं पे किसी ल़ो से
कहीं तो तू जुड़ा होगा ..
जब ढूंढ़ लूँगा तुझे कहीं
पता नहीं उस वक़्त
फिर तू मुझे क्या देगा
हँसा देगा या फिर रुला देगा..
सोचता हूँ बार बार यही
उठा के एक सवाल जेहन से
एक साया है तू सोचता हूँ बार बार यही
उठा के एक सवाल जेहन से
मेरा साथ क्या देगा
जब ज़रूरत होगा मुझे अंधेरों में
तू खुद का पता खो देगा !!
No comments:
Post a Comment