मुझे कल न तेरी फिर से
सनक सवार हुई
वही पगलेट वाली
रातों को
खुले आसमानों के निचे घूमना
चाँद को देख
इशारा करके ज़मी पे बुलाना
हवाओं को छू के
पास बैठा के बातें करना
और बहुत कुछ ..
क्या तुम वो सब सुनना चाहोगी ?
बोलो न
क्या तुम वो सब सुनना चाहोगी ?
क्या ..
तूने हाँ बोला क्या ?
मुझे कुछ ऐसा ही सुनाई पड़ा
तो ठीक है सुनो
फिर मत कहना मुझे
सच में ये पागल हो गया है
मेरे प्रेम में
अगर तू ऐसा कहोगी
सच मैं और पागल हो जाऊँगा
इस बार रेत पे तेरी तस्वीर नहीं
तेरे घर के दीवारों पे बनाया करूँगा
उस आसमा को चाँद को छोड़
तुझको इशारा किया करूँगा
हवाओं को धत्ता कर
सिर्फ और सिर्फ
तुमसे बातें किया करूँगा
क्या तुम्हें ये सब मंजूर होगा
एक पागल आशिक़ का आशिक़ी बनना
सोच लो फिर मत कहना
एक पागल न डोरे डाल के
मुझको फांस डाला
क्योंकि
मेरा काम है तेरे प्रेम में
बस पगलपंती करना
तेरे लिए कविता लिखना
और वक़्त मिले तो
तेरे यादों का धुएं का छल्लें बनाना ...!!
nice .. pyar ke khubsurt jajbaat ..:) badhayi
ReplyDeleteरातों को
खुले आसमानों के निचे घूमना
चाँद को देख
इशारा करके ज़मी पे बुलाना
हवाओं को छू के
पास बैठा के बातें करना
और बहुत कुछ ..
क्या तुम वो सब सुनना चाहोगी ?
बोलो न
क्या तुम वो सब सुनना चाहोगी ?
क्या ..
तूने हाँ बोला क्या ?
मुझे कुछ ऐसा ही सुनाई पड़ा
Aabhar Sunita Agrawal ji ..
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