हाँ ये सच है की हमें तुमसे मोहब्बत है,
हाँ ये भी सच की हमें तुम्हारी चाहत है,
यूँ तो हमारी ज़िंदगी में चाहतों की कमी नहीं,
रिश्ते ओर भी है सिर्फ एक तू ही तो नहीं,
फिर भी आ आज अपनी वक़्त की पहलुओं से मिलाऊँ तुझे,
में क्या हूँ कैसे हूँ आ जरा बतलाऊँ तुझे,
में मेरे बाबा के उमीदों से पूरा एक खाका हूँ,
अपनी माँ के ममता से ढला के एक सांचा हूँ,
अपने भाई का गेरत हूँ ,
अपने बहन के लिए खुशियों का वादा हूँ ये भी जानता हूँ में,
मुझे से है घर के रिश्तों का विश्वास ये भी मानता हूँ में,
तो बहक जाऊं ये कभी मुमकिन ही नही,
की दिल वो भी रखते है बस हम - तुम ही तो नहीं,
मोहब्बत वो है की जो रिश्ते बना देती हो,
अपने बुजुर्गों से दुआ दिला देती हो .....!!
उम्मीद की बेहतरीन अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया ...!!
ReplyDeletemohabbat wo h jo riste bna deti h....apne bujurgo s dua dila deti ho.........bahut bahut achhi soch ko sabd diye h aapne...really awsome
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