मत छूना मेरे परछाइयों को,
में तेरे आगोश में आना चाहता हूँ,
तेरे जिस्म को छू के तेरा होना चाहता हूँ ,
सांसे तेरी मेरी छुअन से बहकने लगे तो रोक लेना,
भर के बाँहों में तुझको आज के बाद बस तेरा होना चाहता हूँ,
मत छूना मेरे परछाइयों को,
में तेरे आगोश में आना चाहता हूँ !!
ना आज के बाद तेरी कोई शाम होगी,
ना ही कोई रात होगी,
मेरे मोजुदगी का ऐसा चमक तेरे जिस्म पे होगा,
हर पल उसके रौशनी में तेरे लिए बस बहार होगी,
मत छूना मेरे परछाइयों को,
में तेरे आगोश में आना चाहता हूँ,
तेरे जिस्म को छू के तेरा होना चाहता हूँ,
मत छूना मेरे परछाइयों को ....!!
मिलना ऐसे मुझसे शर्मो हया का हर आँचल उतार के,
मिला ना हो जैसे आज तक कोई सावन बहार से,
पिला देना अपने लबो से हर वो जाम,
जिसके लिए बरसों से घूमता रहा है,
ये आवारा हर दिन सुबह शाम,
मत छूना मेरे परछाइयों को,
में तेरे आगोश में आना चाहता हूँ,
तेरे जिस्म को छू के तेरा होना चाहता हूँ,
मत छूना मेरे परछाइयों को ....!!
मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeletewah so romantic :P pyar ki anubhuti ki prakastha ko darshati ek behad khubsurat rachna :)
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