आज फिर एक तेरी तस्वीर मिली किताबों में,
सोचा उसे देखकर कुछ ओर पन्ने पलट डालू हुस्न के तेरे हिसाबों में,
यूँ तो निकला था कुछ शब्द ढूंढने तेरे हुस्न के सदके के तारीफों में,
पर वही किताबों के हर सफे पे पाया झुकता सारी कायनात को तेरे सायों में,
आज फिर एक तेरी तस्वीर मिली किताबों में....!!
जब कुछ न मिल पाया तो आँखें बंद कर ली ओर तेरे चेहरे को नजरों में रख ली,
देख के हेऱा हुआ जब पाया बंद आँखों के निचे चाँद को तेरे फरमाए में,
आज फिर एक तेरी तस्वीर मिली किताबों में....!!
तू है कितनी हसी ये तो जानता हूँ में,
होगा न तुझसा कोई ओर ये भी मानता हूँ में,
पर ये दिल सोचता है आज हर शय झुक जाये तेरे कदमो में,
सावन भी तेरे आगे फीका पर जाये जब भी रखूं तुझको निगाहों में,
ऐ मेरे मालिक बस तू कर दे करम इतना ,
हो ना कोई इस ज़मी खुबसूरत मेरे सनम जितना,
बस आ यहाँ तू ओर दे सुकू बोल के ये,
बना ना कोई हुस्न तेरे सनम सा जमानो में,
आज फिर एक तेरी तस्वीर मिली किताबों में....!!
बहुत ही सुन्दर.....
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