तू निकल चाँद बनके वहाँ,
ओर मुझे चकोर बनके यहाँ ही रहने दे,
चाहतें कितनी भी खामोश हो जाये चाहे वफ़ा की गलियों में,
बस मेरी आवाज़ को अपने सिने में ही रहने दे, रहने दे ...!
मैं तेरा दीवाना हूँ, मुझे दीवाना ही रहने दे......
तुझे खुदा ने तराशा होगा बड़ी ही गुरवत से,
बहारों ने सवारा होगा बड़ी ही नेमत से,
सोचता हूँ में आज कहीं मदहोश वो थे..
या मदहोश में रहा हूँ तेरे हुस्न के यादों में,
ये तो मालूम नहीं,
हो चाहे बात कुछ भी... बस मुझे अपने हुस्न में मदहोश रहने दे ...!
मैं तेरा दीवाना हूँ, मुझे दीवाना ही रहने दे......
देखा हूँ जब से तुझे हर शय में तुझको ही याद किया,
तेरी यादों में राते क्या नींदे भी बर्बाद किया,
वो तो किस्मत ही ओर है,
जो आज नाम की दरमियाँ बन गई है बीच हमारे,चल जाने दे ..
होने को कुछ भी हो जाये बस हमें अपनी मुलाकात में ही रहने दे ...!
मैं तेरा दीवाना हूँ, मुझे दीवाना ही रहने दे......!!
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