मेरा मुझमें कुछ रह गया
तेरा भी
तुझमें कुछ बाँकि होगा
दो किनारों के मिलने जैसा
दो नज़रों का
कुछ बाँकि होगा
वादे वफ़ा खाव्बों के
टूट के भी
हिस्सों में कुछ बाँकि होगा
हम साथ न रह सके
बिछड़ के
कुछ रिश्ते तो बाँकि होगा
पूछेगा दिल
अश्क बहा के बता दूंगा
गुस्ताखी मेरी थी ये
जो बनाया साहिल पे घर
तो और लहरों का आना बाँकि होगा
मेरे यादों का कुछ टुकड़ा
उनके पांवों में भी चुभा ही होगा
पतझड़ से चाहे लाख बहला ले दिल
आँखों में सावन का आना बाँकि होगा
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