एक बार फिर जन्म लेगी
मेरी कविता,
तेरे ज़ेहन के गलीचों में,
कुछ फुर्सत के लम्हों में,
कुछ मूक बधीर
तेरे निर्बल अरमानो में,
हो सके तो तब जा के
तुम फिर पढ़ना इसे ओर पूछना खुद से
तुमने क्या खोया क्या पाया ..?
अपनी बेजार रक्त रंजित निगाहों में,
सिवाय सूनेपन ओर अकेलेपन के
अपने ही मकानों में,
शायद फिर तेरे रूठे कमल भी
चल पड़े,
मिलन लिए मेरे भावनाओं संग
लिखने कच्चे पक्के शब्दों से
एक जुझारू ज़िंदगी की दास्ताँ
नाम लिए होगी "मेरी कविता" ..!
मेरी कविता,
तेरे ज़ेहन के गलीचों में,
कुछ फुर्सत के लम्हों में,
कुछ मूक बधीर
तेरे निर्बल अरमानो में,
हो सके तो तब जा के
तुम फिर पढ़ना इसे ओर पूछना खुद से
तुमने क्या खोया क्या पाया ..?
अपनी बेजार रक्त रंजित निगाहों में,
सिवाय सूनेपन ओर अकेलेपन के
अपने ही मकानों में,
शायद फिर तेरे रूठे कमल भी
चल पड़े,
मिलन लिए मेरे भावनाओं संग
लिखने कच्चे पक्के शब्दों से
एक जुझारू ज़िंदगी की दास्ताँ
नाम लिए होगी "मेरी कविता" ..!
wah sonice ... akelepan me khud se baate karna khojna khud ko duniya ki bhir me paoge tanha ... so nice..
ReplyDeleteSukriya Sunita G .. :)
Deleteमिलन लिए मेरे भावनाओं संग
ReplyDeleteलिखने कच्चे पक्के शब्दों से
एक जुझारू ज़िंदगी की दास्ताँ
नाम लिए होगी "मेरी कविता" ..!
गंभीर भाव लिए सुन्दर रचना ...
लोहड़ी व मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ !
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ReplyDeleteधन्यवाद
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bahut sahi likha
ReplyDeleteThank you Shivnath Kumar n Sakhi With feeling ...
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