Thursday, September 26, 2013

सोच रहा हूँ इतना ...



सोच रहा हूँ इतना तेरे नाम के आगे क्या लिख डालू
हर्फ़ लिखू हलंत लिखू या कोमा रख यूँ ही छोड़ डालू

तुम पढ़ ले हर शब्द को मुझसे ऐसा कुछ कर जाऊँ
साँसें रख तेरे हाँथों में संग दूर तेरे कहीं निकल जाऊँ

तू देखे मुझको और मैं देखू तुझको इतना बदल जाऊँ
पा के प्यार सागर सा प्यार की परिभाषा बदल डालू

है मुझे थमना नहीं तेरे प्यार में कहीं ये भी कह डालू
कागज़ की कस्ती बना तेरे संग खुद को दूर बहा डालू

रख के ख्याल तेरा तुझमें मुक्म्वल इतना हो जाऊँ
खुद की सिसकियाँ को भूल तेरे हर गम निगल डालू

सोच रहा हूँ इतना तेरे नाम के आगे क्या लिख डालू
हर्फ़ लिखू हलंत लिखू या कोमा रख यूँ ही छोड़ डालू

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