Friday, March 15, 2013

तू दूर ही खड़ा रहना मुझसे ...



ना मैं उलझुंगा तुमसे
ना तू उलझना मुझसे
मेरी किस्मत
तू दूर ही खड़ा रहना मुझसे,

मैं चुपके से आके
तेरी गलियों से गुज़र जाऊँगा
तू रहम की
एक नज़र ना फेकना मुझपे,

बात जब भी तेरी आएगी
पन्नों के हाशिये छोड़ दूंगा
जो तुम्हें लिखना होगा
लिख देना मैं कुछ ना कहूँगा तुमसे,

बड़ी बड़ी बातें करते थे तुम
एक छोटी सी बात प्यार ना समझ सके तुम
अब इलज़ाम बेवफाई का मुझपे आये या तुमपे
अपनेपन का एक भी जिक्र ना कोई करूँगा तुमसे,

ना मैं उलझुंगा तुमसे
ना तू उलझना मुझसे
मेरी किस्मत
तू दूर ही खड़ा रहना मुझसे,

कल बिताये थे बहुत सारे पल साथ तेरे
आज यादों की सोगात समझकर साथ रखूँगा उसे
तू कुछ और माँग लेना जब तुम्हे माँगना होगा
पर एक भी याद ना बाटूंगा तुमसे,

मैं अकेले अब बहुत खुश हूँ
फिर मजाक बनके ना आना तू कभी धमसे
बहुत जलाया हूँ दिल अपना तेरे दूरियों में
अब मैं माफ़ी चाहूँगा तुमसे,

मेरे रास्ते गरीबी की ही सही
अकेला चलना मंजूर होगा तुम सब से
थक के जो कभी प्यास आई तो
फिर तेरे नाम की एक घूँट पी लूँगा झट से,

ना मैं उलझुंगा तुमसे
ना तू उलझना मुझसे
मेरी किस्मत
तू दूर ही खड़ा रहना मुझसे !!

2 comments: