Friday, November 23, 2012

आना जरुर ...

आना जरुर साँझ होने से पहले
मेरे दिल के चैन...

थोड़ी बहुत सपने हैं..

जो मैंने खुले आँखों से देखे है तेरे पूछे बिना
वही सारे एक एक कर के तुझे बताने है ..

कुछ हाल अपने शक्ल सा

कुछ हाल तेरे शक्ल सा बनाने हैं ..
खुशियों की बातें करके
अपने सारे गमो को रुलाने हैं..

हो सके तो आज अपनी परछाइयों

को मत भेजना..
मुझे तेरे जिस्म को छू कर
तेरे रूह को अपने होने का एहसास दिलाने हैं..

अपने थक से गये सांसों को

तेरे जिस्म के भींगी खुशबू से नहाने हैं..
टांगे खीच के किस्मत का
तेरे बाँहों में गुम हो जाने हैं..

बस तुम ज़रूर आना..

ओर कुछ नहीं लिख सकता हूँ यहाँ
क्यूँ की मुझे सिर्फ एक तेरे एहसासों को
अपने शब्दों से जगाने हैं !!

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