Sunday, November 25, 2012

मेरी चाँद मुझसे कल कहने आई ...

मेरी चाँद मुझसे कल कहने आई,
तू सितारों के संग बसता क्यूँ नहीं हरजाई !


रोज रोज तुमको देखा करू फिर पास से,
ऐसा कुछ तू क्यूँ करता नहीं सोदाई ,

मेरी चाँद मुझसे कल कहने आई ...

मासूम सा तेरा दिल महके मेरे चाँदनीओं  में 
में बिखर जाऊं होके मदहोश फिर तेरे खुशबुओं में

ऐसा कुछ तू क्यूँ करता नहीं सोदाई,

मेरी चाँद मुझसे कल कहने आई,
तू सितारों के संग बसता क्यूँ नहीं हरजाई ! 

हर रात हंसी हो फिर
हर रात करू फिर सुबहों से लड़ाई,

कभी तो तू देरी से आ
कभी तो लू में उनसे हंस के विदाई,

रोज रोज तुमको देखा करू फिर पास से
ऐसा कुछ तू क्यूँ करता नहीं सोदाई,  

मेरी चाँद मुझसे कल कहने आई...

बना लेना मेरी तस्वीर तुम
हर रोज सज के इतना आया करू,

तेरे वास्ते हर लाज ओ शर्म 
अपने घर के खूंटे पे टांग आया करू,

में बाबरी तेरी तू बाबरा  मेरा बन जाऊं
ऐसा कुछ तू क्यूँ करता करता नही सोदाई, 

मेरी चाँद मुझसे कल कहने आई,
तू सितारों के संग बसता क्यूँ नहीं हरजाई !!

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