Friday, February 10, 2012

काश अगर में कोई पेड़ बन पाता ...!!



काश अगर में कोई पेड़ बन पाता,
वो भी किसी राहों का,
फिर हर गुजरने वाले रहगुजर को अपनी छाओं में बुला के सीतलता देता,
हर भूखे को अपने फल देके तृप्ति देता,
सुकून भरी साँसे दे के पत्तों से उसके चेहरे पे मुस्कान बिखेरता, 
देते देते एक दिन इतना सब कुछ अपना दे देता,
की  पतझर में खड़े होकर, हर पत्ते गिरा के भी अपनी शाखों से,
उसे भी मुस्कुराने का सलाह देता,
टूटता कभी नहीं किसी वक़्त की आँधियों से,
पर सब कुछ खो के भी पतझर के हाथों,
बसंत आने पे अपने दामन को फिर से पत्तों से सजा लेता !! 
 

 

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