Wednesday, December 28, 2011

तकती फाटक .... !!


उनके मासूम सोच पे पहरा दुनिया ने लगा रखा है,
वो जीती रही पिंजरे में ओर हमने आसमान सजा रखा है !!

दाना चुंग गई पंछी दुनिया के बिछाए जल का,
पिंजरे में बेठे मैना सोचे कौन है जिम्मेदार मेरे इस हाल का,  
कभी रोये कभी नाचे पंख फैला कर आसमान दिखाए,
पर उसकी बेबसी कोई ओर समझ ना पाये,
यूँ तार तार हो रहा है उसके उन्मुक्त आसमान के जज्बात का,
दाना चुंग गई पंछी दुनिया के बिछाए जल का !!

तकती फाटक अश्रु भरी नज़रों से,
की मिल जाये कोई आहट इसके खुल जाने के आवाज़ का ,
में भी उरु ओर खूब उरु पाके अपनी चाहतों के ऊँचाई के कयाज़ का,
दाना चुंग गई पंछी दुनिया के बिछाए जल का,
पिंजरे में बेठे मैना सोचे कौन है जिम्मेदार मेरे इस हाल का !!

टूटे टूटे सपनो को संजो कर,
एक घर बनाऊ दूर पेड़ के डाल पे तिनको ओर झार का,
वक़्त के उलझन में उलझ के जो टूटे अरमान,
उन उन्मुक्त आसमान के जज्बात का,
दाना चुंग गई पंछी दुनिया के बिछाए जल का,
पिंजरे में बेठे मैना सोचे कौन है जिम्मेदार मेरे इस हाल का !!

1 comment:

  1. Takti phatak.....maine k jajbaato ko kya sabd diye h aapne......daana chung gyi panchi duniya k bichaye jaal ka

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